Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 26 Mar 2022
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जस्टिस कमाल पाशा नें बंद कराया मोहिनीअट्टम का प्रदर्शन, नृत्यांगना को जाना पड़ा वापस

केरल: केरल स्थित पलक्कड़ (Palakkad) जिला जज कलाम पाशा एक बार फिर से विवादों में हैं। इस बार उन पर मोहिनीअट्टम की प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉक्टर नीना प्रसाद का कार्यक्रम रुकवाने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार घटना शनिवार (19 मार्च 2022) शाम की है, जब नृत्यांगना डॉक्टर नीना प्रसाद पलक्कड के सरकारी मोयन एलपी स्कूल में मोहिनीअट्टम का मंचन कर रहीं थी। बताया जाता है कि कार्यक्रम रोके जाने के बाद नीना प्रसाद की आँखों में आँसू आ गए औऱ उन्होंने इसे अपने कैरियर का सबसे कड़वा अनुभव करार दिया।

रिपोर्टों के अनुसार जिला जज कमाल पाशा सरकारी मोयन लोअर प्राइमरी स्कूल के पास रहते हैं। स्कूल में नीना प्रसाद का शो शनिवार शाम 8:30 बजे होना था। जज का कहना है कि यह शो उनके लिए परेशानी भरा था। इसी कारण उन्होंने इसे रोकने को कहा। जिला जज का आदेश मिलते ही पुलिस कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गई और उसने घंटे भर के ‘सख्यम’ कार्यक्रम को रोक दिया। इसमें श्रीकृष्ण और अर्जुन के संबंधों को दर्शाया गया था। कार्यक्रम रोके जाने पर डॉ. नीना प्रसाद की आँखों से आँसू निकल आए। यहीं नहीं वरिष्ठ नृत्यांगना और उनकी टीम को स्टेज पर अपमानित भी किया गया।

इसे कड़वा अनुभव बताते हुए डॉ. प्रसाद ने कहा, “यह मेरे नृत्य कैरियर का सबसे कड़वा अनुभव था। यह न केवल मेरे लिए बल्कि उन साथी कलाकारों के लिए भी अपमानजनक अनुभव था।” प्रसिद्ध कलाकार ने जज कलाम पाशा पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस शो के लिए डांस और कोरियोग्राफी की तैयारी में घंटों का समय दिया था। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा सोलो परफॉर्मेंस था, जिसके लिए मैंने काफी समय दिया था। इसे वॉयलिन, मृदंगम औऱ एडक्का जैसे शांत वाद्ययंत्रों के साथ किया गया था।”

गौरतलब है कि इस शो का आयोजन शेखरीपुरम ग्रैंडशाला ने किया था, जहाँ श्रीचित्रन एमजे के द्वारा लिखी गई किताब इतिहासंगले थेदी का विमोचन भी किया गया। इस घटना के बाद जस्टिस कलाम पाशा पर ‘सांस्कृतिक असहिष्णुता’ का आरोप लगाते हुए पुरोगमना कला साहित्य संघम के अध्यक्ष शाजी एन करुण और महासचिव अशोकन चारुविल ने सोमवार को लोगों से इसका विरोध करने का आह्वान किया। साहित्य संघ ने स्पष्ट कहा कि राज्य अपनी कला और संस्कृति का गला न घोटे।

उन्होंने कहा, “नौकरशाहों और न्यायधीशों की तुलना में केरल के लोग कलाकारों को अधिक सम्मान और महत्व देते हैं। अब वक्त आ गया है कि हमें इस बात को याद करना चाहिए के इस देश के एक प्रधानमंत्री ने एक कलाकार (एमएस सुब्बुलक्ष्मी) को एक बड़ा पद दिया था।” वहीं पुलिस ने सफाई देते हुए कहा है कि उसके पास जज के आदेश का पालन करने अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं था।

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