Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 20 Nov 2021
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कृषि कानूनों की तर्ज पर अब CAA को भी निरस्त करने की मांग उठी
दिल्ली,: कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद मुस्लिम नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को भी कृषि कानूनों की तरह ही निरस्त किए जाने की मांग की है। CAA को वापिस लिए जाने की बात पर चर्चा करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा, 'हम अब सरकार से सीएए-एनआरसी जैसे अन्य कानूनों पर भी विचार करने का आग्रह करते हैं। मजलिस-ए-मुशावरत के प्रमुख नावेद हमीद ने भी कहा कि सीएए और यूएपीए सहित सभी कड़े कानूनों को वापस लेने की जरूरत है। वहीँ जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन ने किसानों को कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया था। सीएए कानून भी वापस लिया जाना चाहिए। ' केंद्र सरकार के इस फैसले के चलते कृषि सुधारों को बड़ा झटका लगने की बात कहते हुए कई लोगों ने केंद्र द्वारा कृषि कानूनों को रद करने के फैसले पर आपत्ति भी जताई है। वहीं, ये भी कहा जा रहा था कि अगर विरोध प्रदर्शन के कारण किसी कानून को वापस लेने की परम्परा चल निकली तो ऐसे ही विरोध के स्वर दूसरे कानूनों के लिए भी सुनाई देंगे। जिस प्रकार की आशंका व्यक्त की जा रही थी अब वही होता दिखाई दे रहा है। कृषि कानून के बाद अब मुस्लिम नेता सीएए को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इससे विपक्ष को लगेगा कि सरकार पर निरंतर दबाव बनाकर उसे कानूनों की वापसी के लिए झुकाया जा सकता है। हाल ही में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एकाएक कटौती से विपक्ष को पहले ही इसका स्वाद लग गया है। अब अगले दो वर्षों में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, तो इससे केंद्र सरकार को बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने में समस्या पेश आएगी। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 और श्रम कानूनों जैसे उसके अन्य कदमों पर भी सरकार को दबाव में लेने की कोशिश विपक्ष कर सकता है।
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