Written By :चंदर मोहन आगरवाल
Updated on : 13 Sep 2021
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आख़िरकार क्या है भारतीय युध्द तकनीक कॉम्बैट एयर टीमिंग

बंगलोर :कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम एक ऐसा जबरदस्त वेपन है जो आज तक किसी भी देश ने नहीं बनाया। इसकी डिजाइनिंग और वर्कबिलिटी एक स्टार्टअप कम्पनी न्यू स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीस ने DRDO के साथ मिलकर पूरी कर ली है। इसपर अमेरिका भी काम कर रहा है और अमरीकन वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर भारत की प्रोग्रेस देखकर इस प्रोजेक्ट को अब भारत के साथ मिलकर पूरा करना चाहते हैं।

यह कोई एक हथियार नहीं है बल्कि उड़ती हुई पूरी की पूरी बटालियन है जो मिलजुलकर एक के बाद एक करके दुश्मन पर वार करेगी। यधपि पब्लिक डोमेन पर इस बारे में बहुत ज्यादा डिटेल नहीं है फिर भी इसके बारे में काफी विस्तार में बताने की कोशिश करूँगा। सबसे पहले एक लड़ाकू विमान विभिन्न मिसाइलों से लैस होकर दुश्मन के क्षेत्र में जहां तक सम्भव होगा वहां तक जाएगा। इसे मदर शिप (Manned तेजस ) का नाम दिया जाएगा। अगर मदर शिप टारगेट तक पहुंच जाता है तो यह किलर मिसाइल्स ( Unmanned ) छोड़कर दुश्मन को तबाह कर देगा। पर मान लो दुश्मन इस मिसाइल को भी रास्ते में इंटरसेप्ट करता है तो यह उसपर मिसाइल्स से वार करेगा।

ऐसे में आगे यह मिसाइल इस मदर शिप का काम सम्भाल लेगी। अब मिसाइल आगे अपनी टारगेट की तरफ बढ़ जाएगी। पर मान लो दुश्मन मिसाइल को भी टारगेट करके न्यूट्रलाइस करने में सफल हो जाता है तो यह मिसाइल फटकर स्वार्म ड्रोन्स रिलीज़ कर देगी जो पहले से सेट टारगेट/ दुश्मन पर धावा बोल देंगे। ये ड्रोन्स इंडिपेंडेंट और सुसाइडल दोनों होंगे। एक मदर शिप में इस तरह के चार पोड होंगे जो कम से कम 4-4 ड्रोन्स कैरी करेंगे। यह हथियार दुश्मन के हैवी डिफेंडड एरिया में बहुत ही घातक सिद्ध होगा। यह खेल बिल्कुल रिले रेस की तरह होगा जिसमें पहला धावक दूसरे को फिर दूसरा तीसरे और फिर चौथे को अपना बैटल पास करते हैं बिल्कुल वैसे ही ये अपना टारगेट पास करते रहेंगे और अंत में टारगेट को नष्ट करेंगे।

(दी गई जानकारी बंगलोर में हुई एयर शो में रिलीस की गई विभिन्न फोटोस और समय समय पर DRDO द्वारा किये गए विभिन्न परीक्षणों और वर्ल्ड न्यूज़ चैनल्स के आर्टिकल्स पर आधारित हैं।)

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