Written By :श्रीकान्त भारद्वाज
Updated on : 11 Sep 2021
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जानिए क्या है बंगाल के सिन्डीकेट और केरल का नोक्कू कुली
बंगाल: बंगाल का सिन्डीकेट मतलब संगठित लूट। ये कम्युनिस्ट के जमाने से है और आज भी है। इसकी संरचना ऊपर से नीचे तक होती है। हर बाजार या गाँव में क्लब होता है। इसको स्थानीय सफेदपोश गुन्डे चलाते हैं। इनके मुखबिर और सदस्य लोकल युवा होते है। इनका काम नियमित वसूली है जो ऊपर तक भेजी जाती है। आपको अपना मकान, दुकान बनाने के लिए क्लब या लोकल आफिस में पैसा देना होता है। बस टैक्सी आटो तो छोडिए, नौकरी करने वाले को दुर्गा पूजा, काली पूजा, नववर्ष, सरस्वती पूजा, लोकल महोत्सव, मेला के नाम जबरदस्त चंदा काटा जाता है। सारे निपटारे यही क्लब करते है। आप टेन्ट ट्रक बैन्ड फोटोग्राफर कुछ भी किराये पर लेना है तो क्लब वाले की स्वीकृत चाहिए। पुलिस प्रशासन चुप रहता है। केरल में सबकुछ बंगाल जैसे ही है। नोक्कू कुली Nokku Kooli (घूरने की मजदूरी) भी है। केरल में आपको अपने घर का सामान भी यूनियन द्वारा दिए गये आदमी से ही उतरवाना होता है। टूटने के डर से या अधिक मज़दूरी माँगने के कारण आप नहीं उतरवाना चाहते तो कोई बात नहीं, यूनियन वाले दूर से आपको सामान उतारते देखेंगे। जब पूरा सामान आप उतार लेंगे तो आएँगे और आप से फिर मज़दूरी माँगेंगे। मेहनत नहीं की, सामान उतारा नहीं तो क्या हुआ? बस दूर से देखा, हंगामा नहीं किया, आपका सामान या सिर नहीं तोडा। उसी की मज़दूरी, जिसे मलयालम में नोक्कू कूली Nokku kooli कहते है। बंगाल में भी यही होता है उसे सिन्डीकेट या क्लब कहते हैं। दोनों राज्यों में कम्युनिस्ट की सबसे बड़ी बीमारी है और बामपंथी TMC के संगठन की मजबूती है। इसीलिए केरल बंगाल में कोई उद्योग नहीं है। केरल का GST संग्रह हरियाणा का एक तिहाई है। आर्थिक गुलामी की वजह से, केरल में धर्मपरिवर्तन ऐसा हुआ है अब हिन्दू आधे रह गये है और ईसाई खतरे मे है। केरल की वसूली सरकार में लड़कियाँ ISIS नियंत्रित क्षेत्र तथा बंगाल की बडे शहरों में काम करने को विवश है। बंगाल की मजबूर गरीब लड़कियों का शारीरिक शोषण जगजाहिर है। संप्रदायवाद / समाजवाद कोई राजनीतिक / आर्थिक विचारधारा नहीं है। दोनों ही केवल गुन्डाराज है। यूपी बिहार का समाजवाद भी इसी का लघुरूप है। इसीलिए जो देश/प्रदेश इनके नियंत्रण में आ जाता है उसका विनाश हो जाता है। असली अपराधी मीडिया व बुद्धिजीवी है जिन्होंने बंगाल व केरल में चल रहे इस गुण्डाराज को कभी उजागर नहीं किया।
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