Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 18 Aug 2021
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भारत अफगानिस्तान में अपनी अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा कर सकता है :तालिबान प्रवक्ता

काबुल: तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल हम टीवी को दिए गए इंटरव्यू में कहा किसी भी देश को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ करने नहीं दिया जाएगा। हां भारत यहां अपनी अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा कर सकता है। उसे पूरा करना भी चाहिए।

अफगानिस्तान में तालिबान ने पूरा कंट्रोल ले लिया है। कंधार से लेकर काबुल तक अब तालिबान के लड़ाके अपना झंडा लहरा चुके हैं, इसके बाद दुनिया के कई देशों के सामने कूटनीतिक संकट खड़ा हो गया है, भारत भी इन देशों की सूची में शामिल है। भारत ने अफगानिस्तान में करोड़ों-अरबों का निवेश कर रखा है, ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि तालिबान की सत्ता होने पर अब भारत के इन निवेश का क्या होगा? हालांकि, इस बीच तालिबान ने भारत को लेकर अपनी रूख साफ कर दिया है। तालिबान ने कहा कि भारत को अफगानिस्तान में अपने सारे पेंडिंग प्रोजेक्ट्स को पूरे करना चाहिए।

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल हम टीवी को दिए गए इंटरव्यू में ये बातें कही। शाहीन ने कहा किसी भी देश को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ करने नहीं दिया जाएगा। हां भारत यहां अपनी अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा कर सकता है, उसे पूरा करना भी चाहिए।

जब पाकिस्तानी एंकर ने पूछा कि भारत ने तालिबान को कभी मान्यता नहीं दी है, ऐसे में अब आगे क्या होगा? इसके जवाब में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, हम अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल किसी भी सूरत में दूसरों के खिलाफ नहीं होने देंगे, ये क्लियर कट पॉलिसी है। अगर भारत ने यहां काम शुरू किया है, तो उसे पूरा करना चाहिए क्योंकि वो आवाम के लिए है।

तालिबान ने एक बार फिर दोहराया कि वह भारत-पाकिस्तान विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहता। शाहीन ने कहा मैं यहां 40 साल से जिहाद कर रहा हूं। हम भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते, हम आजादी के लिए लड़ने वाले लोग हैं। हम अफगानिस्तान के लोग हैं।

भारत ने अफगानिस्तान में कुल 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, ये निवेश अफगानिस्तान में सड़क, डैम, बिजली ट्रांसमिशन लाइन, सबस्टेशन, स्कूल, अस्पताल के निर्माण के लिए किया गया है। दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय व्यापार 1 बिलियन डॉलर तक का था। 2020 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जेनेवा कॉन्फ्रेंस में कहा था कि आज अफगानिस्तान का कोई ऐसा हिस्सा नहीं जहां भारत के प्रोजेक्ट ना हो, भारत के अफगानिस्तान में 400 से अधिक प्रोजेक्ट हैं, जिसे सभी 34 अफगानिस्तान के प्रांत में चलाया जा रहा है।

अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में सलमा डैम को भारत ने तैयार किया था, जिसका उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में किया था। इस डैम को फ्रैंडशिप डैम के रूप में भी जाना जाता है। यहां बड़े पैमाने पर तकरीबन 42 मेगावाॉट बिजली का उत्पादन होता है। अफगानिस्तान के निमरुज प्रांत की राजधानी जारंज में भारत ने हाईवे के निर्माण में काफी निवेश किया था। भारत ने यहां हाईवे का निर्माण इस उद्देश्य से किया था, ताकि वह ईरान के चाबहार बंदराग के रास्ते जारंज शहर पहुंच सके। यहां से ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान के साथ जुड़नेवाले इस हाईवे पर अब तालिबान का कब्जा है।

काबुल स्थित अफगानिस्तान की संसद का निर्माण भारत ने कराया था। इसके लिए भारत ने कुल 90 मिलियन डॉलर का निवेश किया था। इसे 2015 में खोला गया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।

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