Written By :
Updated on : 02 Jul 2021
Reader's View :698

एनएसजी कमान्डोस का अचूक हथियार बना कमीकाजी’ ड्रोन

गुरुग्राम : आतंकियों के खिलाफ आपरेशंस को धार देने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के ब्लैक कैट कमांडो को अब ‘कमीकाजी’ ड्रोन्स का भी साथ मिलेगा. ये ड्रोन स्वदेशी तकनीक से विकसित किए गए हैं, मानेसर में मंगलवार को एनएसजी के 34वें स्थापना दिवस पर कमीकाजी ड्रोन का लाइव डेमो के साथ अनावरण किया गया.

ड्रोन्स के लिए ये ‘कमीकाजी’ नाम जापानी वायुसेना की ओर से द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल की गई स्पेशल अटैक यूनिट मिसाइल से लिया गया है, तब इनका इस्तेमाल जापान की ओर से साझा सेनाओं की नौकाओं को तबाह करने के लिए किया गया था. ये हमले पारंपरिक विमानों की ओर से किए जाने वाले हमलों से ज्यादा असरदार थे. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कमीकाजी मिसाइल हमलों के लिए मानव पायलटों की जरूरत होती थी.

लेकिन भारत में निर्मित कमीकाजी ड्रोन रिमोट से संचालित मानव रहित एरियल व्हीकल (यूएवी) है, इसका उद्देश्य ब्लैक कैट्स को कम से कम नुकसान सुनिश्चित करना है, जुड़वा कमीकाजी ड्रोन गेमचेंजर बन सकता है, क्योंकि हथियारों से लैस यूएवी किसी इमारत में छिपे आतंकी तक पहुंचकर उसका सफाया करने की क्षमता है.

भारतीय कंपनी वोर्टेक्स यूएएस की ओर से बनाए गए कमीकाजी में दो ड्रोन्स के सेट का इस्तेमाल किया जाता है. पहला ड्रोन विस्फोटक से लक्षित इमारत की खिड़की को तोड़ता है. दूसरा सुसाइड ड्रोन डेटोनेटर ले जाता है, जो सीधा आतंकी के सिर पर जाकर फट सकता है.

दोनों ड्रोन में एक मुलभुत अंतर है, ब्लैक हार्नेट आपके फोन के वजन के बराबर का है जिसके जरिये मुठभेड़ स्थल का लाईव टेलीकास्ट तथा जासूसी आतंकियों के ठिकाने की सटीक लोकेशन के जरिये जीपीएस आधारित हथियारों का उपयोग संभव है, तथा दुसरे कामिकाजी ड्रोन हमला करने वाले ड्रोन है.

सुसाइड ड्रोन खुद फट सकता है या बचे भी रह सकता है, जिससे कि जरूरत के हिसाब से उसका दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सके. एनएसजी के महानिदेशक सुदीप लखटकिया ने बताया कि हमने सशस्त्र ड्रोन को अपनी तकनीक को उन्नत बनाने के हिस्से के तौर पर साथ जोड़ा है.

होम पेज पर जाने के लिए क्लिक करें.

Leave your comments

Name

Email

Comments

इन्हें भी पढ़ें