Written By :किशोर वाल्मीकि
Updated on : 25 Jun 2021
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बेकरी के काम से पायें रोजगार के साथ तगड़ा मुनाफा
मात्र 5 लाख का खर्च आता है एक धांसू बेकरी खोलने में, केवल्ल 5 लाख......
और लगभग 12 लोग सुंदर सा रोजगार पा लेते हैं!
और हां चाहिए क्या?.....एक 100 मीटर का हालनुमा मकान एक भट्टी,कोयला और कच्चा राशन प्लस पापे, फैन तथा रस्क बनाने के सांचे......
समझो ढाई से तीन लाख में बिजनेस तैयार तथा 2 लाख की राशि खीसे में रखो सप्लाई व परिवहन के वास्ते....
और उसके बाद गारंटेड 50 हजार की सप्लाई एकदम शुरू में ही सम्भव है....
ऊपर से मेरे जैसे लोग आ जाएंगे हिंदुत्व के वास्ते, हिंदुओं सिखों आदि को सप्लाई देने की अपील करने....
जब 12 लोग केवल इतनी न्यूनतम राशि मे बढ़िया रोजगार पा सकते हैं तो जो मालिक बनके गल्ले पर बैठेगा,उसकी तो बल्ले बल्ले......
लेकिन ठहरिए जनाब ठहरिए....
स्साला इतना जोखिम उठाये क्यों??....काहे एक फालतू फ़ंडर किशोर बाल्मीकि के कहने में आके दिन भर पसीना बहाया जाए??
इससे बढ़िया किसी सिक्युरिटी फर्म में चौकीदार की नौकरी भली!
किसी बिल्डर के यहां खतों किताबत अच्छी..."वो बिल्डर डाँटेगा भले ही लेकिन बैठे बिठाए 15 हजार भी तो देगा न?...फिर काहे इतना टेंशन पाला जाए?
बस इसी सोच ने तो तुम्हें केवल शिकायतकर्ता बना डाला....जिनको तुम "अनपढ़ आसमानी" समझते हो आज भारत की सप्लाई व्यवस्था के शहंशाह हैं शहंशाह!
वो न रोजगार समाचार देखते है!न ही किसी सरकारी नौकरी के लिये रिश्तेदारों की मिनती करते हैं!वो तो भारत की आलू,केला,प्याज तथा सब्जी सप्लाई में एकदम शीर्ष पकड़कर बैठे हैं!स्क्रैप तथा मांस के कारोबार में विश्वस्तरीय हैं ही!जितने भी सॉफ्ट और हार्डवेयर के कारखाने हैं उनके बेताज बादशाह हैं वो!🚩 आज अगर आप से कह दूं कि 12 दलित पकड़कर उनको बेकरी में लगाकर आराम से 10 लाख प्रतिमाह कमाओ तो आपका पहला जवाब होगा,"वो तो साले भीमवादी हैं,उनको काहे रोजगार देना?"फलाना ढिमकाना....और दलितों में जो आज कट्टर भीमवाद पैर पसार रहा है या धर्म परिवर्तन की आंधी है उसकी जड़ में यही रोजगार की कमी है यानि जो कारीगर कौम है वह काम के अभाव में आसानी से उनकी बातों में फंसकर डायवर्ट हो जा रही है क्योंकि वो धर्म परिवर्तन की शर्त पर उनको बढ़िया सा रोजगार मुहैया करा देते हैं जबकि आपके पास आने में उनको वही जानी पहचानी हिचक है! सीधी सी बात है आप उनके स्टेटस की हीनता के कारण उनके पास न जाओगे और वो दूसरों के झांसे में आकर खुद को दुश्मनों के हवाले करेंगे ही! अभिजात्य बनने के चक्कर से निजात पाये तभी तो कोई इस पैसे कमाऊ धंधे में आये? उसको प्रोत्साहित कौन करे? क्यों करे या करने का साहस जुटाए? बस इसी चकरघिन्नी में फंस गया है आज का इन्सान.. जबकि आज बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा का मुसलमान भारत के हर शहर में 10-10 बेकरी खोले बैठा है! और आप बिना उसको जाने अपने नाश्ते में उसके रस्क,फैन और पापे दबाकर खा रहे हो!
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