Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 21 Jun 2021
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जनसंख्या नियंत्रण कानून कि दिशा में योगी सरकार, दो माह में तैयार होगा ड्राफ्ट
लखनऊ : अब जबकि देश भर में जनसँख्या विष्फोट के चलते स्थिति नाजुक हो चली है, आसाम के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी जनसँख्या नियंत्रण के वास्ते कानून को प्रदेश में लागु करने का मन बना लिया है. इस कानून का ड्राफ्ट बनाने की दिशा में कानून मंत्रालय ने कार्य भी शुरू कर दिया है और अगले दो महीनों में इस बिल का ड्राफ्ट तैयार भी हो जायेगा. उत्तर प्रदेश के विधि आयोग ने इस बिल के लिए आधारभूत कार्य प्रारम्भ कर दिया है जिसके अंतर्गत प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ वही लोग उठा सकेंगे जिनके दो अथवा दो से कम बच्चे होंगे. इस कानून का उद्देश्य उन दम्पतियों को प्रोत्साहन देना भी है जिन्होंने जनसँख्या नियंत्रण में अपना योगदान दिया है.
गौरतलब है जनसँख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने का उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय आसाम के मुख्यमंत्री की उस घोषणा के फौरन बाद लिया गया जिसमें आसाम के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जनसँख्या नियंत्रण कानून में संशोधन के इच्छुक है. जनसँख्या नियंत्रण कानून में संशोधन के बाद दो से अधिक बच्चों के परिवार राज्य सरकार की कल्याणकारी व लाभकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित हो जायेंगे. संशोधन पूर्व के कानून के अनुसार दो से अधिक बच्चों के माता पिता को लोकल चुनावों में भाग लेनें और सरकारी नौकरियों के लिए अयोग्य करार दिया गया था.
उत्तर प्रदेश विधि आयोग के चेयरमैन ए एन मित्तल नें बताया कि इस नए बिल का प्रारूप अगले दो महीनों में तैयार हो जायेगा. इसके ड्राफ्ट को तैयार करने में विभिन्न stakeholders और जनता कि सलाह भी ली जाएगी. श्री मित्तल के अनुसार इस कानून के लागू होनें कि तिथि के बाद दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दम्पत्तियो को विभिन्न उत्पादों पर सब्सिडी लेने से वंचित किया जायेगा. इसी के साथ ऐसे परिवारों के लिए राशन वितरण के लिए भी अलग तरीके बनाये जायेंगे. ऐसे परिवार राज्य सरकार की लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे और न ही अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के लिए योग्य माने जायेंगे. श्री मित्तल के अनुसार इस कानून के लागू होने कि तिथि के विषय में जल्द ही निर्णय किया जायेगा. कानून लागू होनें की तारीख के साथ नौ महीनों की गर्भावस्था को भी ध्यान में रखा जायेगा.
यह कानून किसी भी तरह से दंड स्वरूप नहीं लिया जाना चाहिए. ऐसे परिवार जो अपने परिवार को अधिकतम दो बच्चों तक सीमित नहीं रखना चाहते उन्हें सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को त्यागना होगा. मित्तल ने कहा कि विधि आयोग राजस्थान, मध्यप्रदेश, आसाम जैसे राज्यों और चीन जैसे देशों की जनसँख्या नीतियों का अध्ययन कर रहा है.
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