Written By :हिन्दुस्थान समाचार
Updated on : 01 Jun 2021
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तीन दिवसीय “अहं राम: अस्मि” व्याख्यान माला संपन्न

कोलकाता, 30 मई (हि.स.)। अपने अहंकार को मिटाना ही रामत्व है। राम देवत्व को लेकर अवतरित हुए परंतु उन्होंने विजय का यश स्वयं नहीं लिया, अपने सहयोगियों को दिया। विफलता का श्रेय स्वयं लेना तथा विजय का श्रेय अपने सहयोगियों को देना ही रामत्व है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह एवं प्रखर चिंतक डॉ. कृष्ण गोपाल ने रविवार को कोलकाता की 34 सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “अहं राम: अस्मि” (मैं राम हूं) विषयक तीन दिवसीय व्याख्यान माला के समापन सत्र में कही।

डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि रामत्व को समझना है तो हम राम के जीवन, आचरण, व्यवहार एवं परिवार को देखें। अपने अहम पर नियंत्रण कर दूसरों के अन्तर्मन को समझना, अपने 'मैं' पन को मिटाना रामत्व है। उन्होंने कहा कि सामान्य जीवन में असामान्य जीवन का प्रकटीकरण करना ही रामत्व है। कहीं अत्याचार होते देखकर उसके लिए संघर्ष करने वालों के साथ खड़े होना ही रामत्व है। स्वयं समर्थ होते हुए भी दूसरों के विचारों को महत्त्व देना रामत्व की श्रेणी में आता है। गलती को क्षमा करके उसको अपनाना रामत्व है। राम ने अपने आचरण से लोकमानस का मार्गदर्शन किया। राम ने कोई ग्रंथ नहीं लिखा। कोई उपदेश नहीं दिया। राम और राम कथा के प्रत्येक पात्र ने अपने-अपने आचरण द्वारा रामत्व की सही परिभाषा स्थापित की।

उन्होंने कहा कि प्रभु राम का चरित्र एक ऐसा आदर्श है जो हमें हर कालखंड में व्यावहारिक लगता है। संकट की घड़ी में धैर्य को नहीं त्यागना राम ने अपने आचरण द्वारा स्थापित किया। राम के चरित्र के अनुसार जीना, यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है। राम के जीवन के विभिन्न घटनाक्रम हमारे जीवन में आनंद भरकर हमें वैसा अनुकरण करने की सीख देते हैं। राम की सरलता, सहजता, सहनशीलता, सुभगता जीवन को अवसाद से बाहर आने की प्रेरणा देती है। भीषण विपत्तियों में भी हमें अशांत नहीं होने देती।

सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि जो सिद्ध है, कभी विचलित नहीं होता वह राम है। अपने देश और समाज को युद्ध में डाले बिना युद्ध जीतना ही राम का जीवन कौशल है। राम का जीवन सिखाता है कि हम उदार मन से वार्ता करते रहें। राम महामानव हैं क्योंकि अपने से छोटों को भी महानता देते हैं। यदि हमारे हृदय में रामत्व जीवित है तो हम क्षमा करना सीख जाते हैं। राम का रामत्व शून्य से ब्रह्मांड को खड़ा करता है। पुरुषार्थी राम निराशा में आशा का संचार करते हैं। राम को देखने के लिए राम के आचरण को देखना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि वनवासी कल्याण आश्रम, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, राजस्थान परिषद, वनबंधु परिषद, भारतीय संस्कृति संवर्द्धन समिति, कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी, राम शरद कोठारी स्मृति संघ सहित कोलकाता की 34 गैर-सरकारी संगठनों की ओर से आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन में देश-विदेश से आभासी माध्यम से हज़ारों की संख्या में लोग जुड़े। कार्यक्रम का संचालन स्नेहलता बैद ने किया। आयोजन में शंकरलाल अग्रवाल, जीतेन्द्र चौधरी, डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी, महावीर बजाज, राजेश अग्रवाल, अरुण प्रकाश मल्लावत, रमेश सरावगी एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई।

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