Written By :पीटीआई
Updated on : 01 Feb 2021
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सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश, पीवी गणेदीवाला की नियुक्ति के प्रस्ताव मंजूरी वापस ली

नई दिल्ली : एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति पीवी गणेदीवाला की नियुक्ति के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी वापस ले ली है। न्यायमूर्ति पीवी गणेदीवाला यौन उत्पीड़न के दो मामलों में अपने विवादास्पद फैसले के बाद चर्चा में हैं।

सूत्रों के अनुसार ने बताया कि न्यायमूर्ति गणेदीवाला नें दो मामलों में POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की गलत व्याख्या की थी। न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला ने हाल ही में एक 12 वर्षीय लड़की के सीने को स्पर्श के आरोप में एक व्यक्ति को बरी कर दिया था। बरी किये जाने के लिए ये व्याख्या दी गई कि इस मामले को यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता क्योंकि पूरे मामले में आरोपित की त्वचा से पीड़िता की त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था। कुछ दिनों पूर्व यौन शोषण के एक मामले में जस्टिस गनेदीवाला ने फैसला सुनाया था कि पांच साल की लड़की का हाथ पकड़ना और पतलून खोलना POCSO अधिनियम के तहत "यौन शोषण" नहीं कहा जा सकता है ।

27 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि यह आदेश एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा। 20 जनवरी को हुई बैठक में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति गनेदीवाला को स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव को सहमति नहीं दिया था।

कौन हैं जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला : जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेदीवाला का जन्म 3 मार्च, 1969 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के परतावाड़ा में हुआ था। वह विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों के लिए एक पैनल अधिवक्ता थीं और अमरावती के विभिन्न कॉलेजों में मानद लेक्चरर भी थीं। उन्हें 2007 में सीधे जिला जज के रूप में नियुक्त किया गया था और 13 फरवरी, 2019 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

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