Written By :न्यायाधीश एडिटर डेस्क
Updated on : 09 Aug 2020
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भारतीय कोरोना वैक्सीन के खिलाफ खड़ी देशविरोधी लॉबी के आगे पस्त नजर आती सरकार
न्यायाधीश एडिटर डेस्क : भारत सरकार के द्वारा गत ३ जुलाई को ही यह घोषणा की गई कि सरकार १५ अगस्त से सारे देश को कोरोना वैक्सीन लगाये जानें की शुरुआत करने वाली है | इस घोषणा के कुछ दिनों के अंदर अचानक ही रुस द्बारा एक घोषणा की जाती है कि रूस अपनी वैक्सीन का उपयोग 12 अगस्त से शुरू करेगा तथा उसकी योजना सितम्बर अक्टूबर तक पूरे देश को वह वैक्सीन लगाने की है | ज्ञात रहे कि भारत की वैक्सीन भी तैयार हो चुकी है. जैसा कि हमने बताया कि पिछले महीने 3 जुलाई को ICMR (Indian Council of Medical Research) ने 15 अगस्त से भारतीय कोरोना वैक्सीन के उपयोग की घोषणा भी विस्तृत विवरण के साथ की थी. लेकिन इसके तत्काल बाद देश में सक्रिय एक लॉबी ने भांति भांति के क्लीनिकल प्रोटोकॉल का हउव्वा खड़ा कर के गजब हुड़दंग शुरू कर दिया था और सरकार पर ऐसा नहीं करने का भयानक दबाव बना दिया था. जबकि सच यह है कि ICMR कोई सब्जी बेचने वालों की संस्था नहीं है. देश के प्रतिष्ठित डॉक्टरों और चिकित्सा विज्ञानियों का समूह है ICMR. यह भी सर्वज्ञात तथ्य है कि वैक्सीन निर्माण और शोध तकनीक में रूस से काफी आगे है भारत. फिर भारतीय वैक्सीन के जल्दी आने में हुड़दंग क्यों.? दरअसल 135 करोड़ की जनसंख्या वाला भारत दुनिया में कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा बाजार बनने वाला है. भारत की वैक्सीन उत्पादन की क्षमता दुनिया के सभी देशों से कई गुना अधिक है. अतः कोई भारतीय वैक्सीन यदि बाजार में पहले आ गयी तो अबतक अपनी कोरोना वैक्सीन बनाने पर अरबों रुपये फूंक चुकी दुनिया की आधा दर्जन मल्टीनेशनल दवा कंपनियों के हाथ से सबसे बड़ा बाजार भारत निकल जाएगा. इसलिए कुछ डॉक्टरों और पत्रकारों के माध्यम से यह कंपनियां करोड़ों फूंक कर तथाकथित क्लीनिकल प्रोटोकॉल का हुड़दंग करा के भारतीय वैक्सीन को 2021 से पहले बाजार में नहीं आने देना चाहती हैं. इसीलिए डाक्टरों तथाकथित विशेषज्ञों और पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग इस बात का जबर्दस्त दबाव बना रहा है कि एक से डेढ़ साल लम्बा क्लीनिकल प्रोटोकॉल पूरा किये बिना भारतीय वैक्सीन बाजार में नहीं लायी जाए.
रूस के राष्ट्रपति नें भी अपने देशवासियों को कोरोना की वैक्सीन दिए जाने की बात कही है और वो भी बिना इस दवा के द्वारा किसी क्लिनिकल ट्रायल को पूरा हुए बिना. इस देशघाती लॉबी को बस एक बात का जवाब देना चाहिए कि क्या रूस की सरकार, उसके राष्ट्रपति पुतिन अपने 14.5 करोड़ नागरिकों के दुश्मन हैं क्या,जो एक से डेढ़ साल लम्बे तथाकथित क्लीनिकल प्रोटोकॉल के बिना उनको वह वैक्सीन देने जा रहे हैं.? मेरी एक बात और ध्यान कर लीजिए कि अमेरिका और ब्रिटेन या किसी और देश की वैक्सीन अगले कुछ महीनों में जब आयेगी तो आज एक से डेढ़ साल लम्बे तथाकथित क्लीनिकल प्रोटोकॉल के लिए भारत में हुड़दंग कर रहे चेहरे आपको गधे के सिर से सींग की तरह गायब नजर आयेंगे. लॉकडाउन हटने के बाद लोगों की अनुशासनहीन लापरवाह जीवन शैली के कारण देश में कोरोना मरीजों और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आज सवेरे 8 बजे तक का आंकड़ा बता रहा है कि पिछले केवल 24 घंटों में देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में 60,000 की वृद्धि हुई है तथा 933 लोगों की मौत हुई है. यह रफ़्तार धीरे धीरे ही सही लेकिन लगातार बढ़ती जा रही है. अतः अब यह स्पष्ट हो चुका है कि जबतक कोरोना की वैक्सीन नहीं आयेगी तब तक स्थिति भयावह होती जाएगी. 8-9 सौ मौतें रोजाना की इस वर्तमान गति के साथ एक से डेढ़ साल तक क्लीनिकल प्रोटोकॉल पूरा करने की क़ीमत देश को कम से कम 3 से 4 लाख मौतों के साथ चुकानी पड़ेगी. भारत सरकार को चाहिए कि इस आपातकाल में क्लीनिकल टेस्ट की अनिवार्यता के प्रोटोकोल का पालन किये बिना ही भारतीय वैक्सीन को जल्द से जल्द भारतीयों को उपलब्ध करवाए ताकि एक बड़ी संख्या में आबादी को कोरोना से बचाया जा सके.
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