Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 13 Jul 2020
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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की सम्पत्ति पर त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार का अधिकार - सुप्रीम कोर्ट

न्यायाधीश ब्यूरो,कोच्चि : केरल के विश्वविख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्तियों और मंदिर के प्रशासन के अधिकारी के सन्दर्भ में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना अहम फैसला सुना दिया है. इस महत्वपूर्ण विषय पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया व देश के सबसे अधिक संपत्ति वाले मंदिरों में से एक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन तथा मंदिर की संपत्तियों का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया है. मंदिर की संपत्तियों के आंकलन के हिसाब से बताया जाता है कि मंदिर के पास करी​ब दो लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है.

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन और मंदिर की सम्पत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान इस बात पर फैसला लिया गया कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन की पुरी जिम्मेदारी त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दी जाएगी. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि तिरुवनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमिटी फिलहाल मंदिर की व्यवस्था देखेगी.

ज्ञात हो कि केरल हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के अधिकार और संपत्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए इस पर राज्य सरकार का अधिकार बताया था. केरल हाईकोर्ट के इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक सुनवाई हुई . इस मामले में अप्रैल में हुई सुनवाई के बाद जस्टिस ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसका कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता है. इतिहासकार डॉ.एल.के.रवि वर्मा के अनुसार यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है, मंदिर के स्ट्रक्चर के लिहाज से देखें तो माना जाता है कि केरल के तिरुअनंतपुरम में बने पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी. साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया. इसके साथ ही पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया. अब भी शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहा है.

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