Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 29 May 2020
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कभी 420 रूपये वाले रेलवे पास से सफर करने वाले सोनू बने प्रवासियों के मसीहा

न्यायाधीश ब्यूरो, मुंबई : आज जब समूचे देश में कोविड 19 के चलते अव्यवस्था सी फैली हुई है और लॉक डाउन के कारण तमाम उद्योग धंधों पर भी असर पड़ा है तो रोजगार के अभाव में महानगरों से बड़े पैमाने पर उत्तर भारतीय मजदूरों का पलायन शुरू हो गया. मुंबई से भी श्रमिक अपने घरों को वापस लौटना चाह रहे थे लेकिन धन की कमी के चलते बसों ,ट्रेनों की जगह सडक के रास्ते अपने गृह जनपदों को जाने के लिए मजबूर थे. इन सबके बीच में bolywood की एक शख्सियत की एंट्री होती है जिसने इन बेबस और लाचार मजदूरों का हाथ थामा | bolywood की ये शख्सियत कोई बहुत बड़ी और मशहूर सेलेब्रेटी तो नही थी और न इस शख्सियत के पास सुपर स्टार्स के तरह अकूत दौलत थी| इसके पास दूसरों का दर्द समझने वाला दिल और गरीबो के लिए काम करने का जज्बा था| इस शख्सियत का नाम है सोनू सूद जो फिल्मों में विलेन के रोल करते करते आज रियल लाइफ में मजदूरों व् गरीबों के हीरो बन चुके है.

बसों का प्रबंध : प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या थी अपने घरों तक पहुंचना जिसका समाधान सोनू ने मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम करके किया. सोनू ने मजदूरों के लिए न सिर्फ बसों का इंतजाम किया बल्कि उनके रास्ते के खाने पीने का प्रबंध भी करवाया. सोनू ने शुरुआत में तो खुद ही मजदूरों, श्रमिकों के लिए खाने पीने, बसों का इंतजाम किया फिर इनके जानने वालों और दोस्तों नें भी इस पुण्य कार्य में सहयोग देना शुरू कर दिया. कई बार तो ऐसा हुआ जब बसों के जाने के बाद पहुंचे लोगों को सोनू ने अपने दोस्तों के सहयोग के माध्यम से उनके घरों को रवाना किया |

फ्रंट पर सोनू : सोनू सूद के इस राहत कार्य की सबसे बड़ी बात ये है कि सोनू खुद रोड पर निकलकर ऐसे लोगों से मिल रहे है जिन्हें घर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बसों का इंतजाम होनें के बाद भी अंतिम यात्री के बस में बैठने तक सोनू स्वयं बसों के पास मौजूद रहते हैं. कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए ये अपनें में एक बड़ी बात है |

ट्विटर पर हमेशा सक्रिय : बकौल सोनू वो अपने ट्विटर अकाउंट को @SonuSood को हमेशा चेक करते रहते हैं ताकि अगर किसी को सोनू की मदद की जरूरत है तो उसे फौरन मदद की जा सके. यहाँ तक कि रात में भी जब कभी सोनू की नींद खुलती है, ये अपना ट्विटर अकाउंट चेक करना नहीं भूलते ताकि कोई ऐसा व्यक्ति छूट न जाये जिसे किसी प्रकार के मदद की जरूरत है | सोनू ने अपने इसी मकसद के लिए एक हेल्पलाइन भी शुरू की है.

कहते हैं न जाके पैर न फटे बेवाई, वो क्या जाने पीर पराई. यानि जिसने दुख नहीं झेले उसे दुखी इन्सान की पीड़ा समझ नहीं आती | सोनू सूद ने भी अपने स्ट्रगल के दिनों में काफी मुसीबतें झेली थी, तभी उन्हें उन गरीब, विपन्न और परिस्थितियों के मारे प्रवासी मजदूरों के दुःख दर्द का अहसास हुआ. सोनू सूद के साथ एक समय ऐसा भी आया जब सोनू ने काम के सिलसिले में 420 रूपये वाले मासिक रेलवे पास से सफर भी किया |

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Top 5 comments

Dhiraj Tripathi Says
Sonu is real hero in real life.

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