Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 27 Apr 2020
Reader's View :466

सेवा कार्य ही वास्तविक संघ कार्य - संघ प्रमुख मोहन जी भागवत

न्यायाधीश ब्यूरो, नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक ने लाइव प्रसारण के माध्यम से नागपुर से देश भर के स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि वर्तमान संकट को एक अवसर मानते हुए नए भारत के निर्माण के लिए प्रत्येक स्वयंसेवक को सक्रिय होना चाहिए.संकट काल बाद की परिस्थितियों ससे लड़ने के लिए हर स्वयंसेवक से अभी से राष्ट्र निर्माण में लगनें का आह्वान सर संघचालक नें किया है.

माननीय सर संघचालक ने कहा कि वर्तमान में संघ की नियमित शाखाएं नहीं लग रही हैं किन्तु सेवा कार्य में स्वयंसेवक सक्रिय हैं. श्री भागवत नें स्वयंसेवकों को निर्देश दिया कि हमें सेवा कार्य अपनी या संघ की कीर्ति के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए करना है.

श्री भागवत नें कहा कि वर्तमान संकट हमें स्वावलम्बन की शिक्षा दे रहा है अतः देश के भविष्य के लिए हमें स्वदेशी पर आधारित मॉडल पर विचार करना होगा. स्वदेशी की चर्चा करते हुए श्री भागवत ने कहा कि स्वदेशी को अपनें आचरण में उतारनें की आवश्यकता है. इसी के साथ स्वदेशी उद्योगों को भी अपनी गुणवत्ता सुधारनी चाहिए ताकि हम विदेशों पर कम निर्भर रहें.

lockdown का उल्लेख करते हुए श्री भागवत नें वर्तमान समय में पर्यावरण जितना स्वच्छ हो गया है उसे बनाये रखना समाज की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है. lockdown में सभी को अपने परिवार के साथ अधिकतम समय बितानें का अवसर मिल रहा है ,इसका लाभ उठाते हुए कुटुंब को संस्कार देना भी सभी का दायित्व है.

अपने उद्बोधन में सर संघचालक नें कहा कि सम्पूर्ण देश के नागरिकों की बिना किसी भेदभाव के सहायता करना प्रत्येक संघ स्वयंसेवक का कर्तव्य है. सम्पूर्ण समाज अपना है अतः सभी के दुःख हरना अपना कर्तव्य है.

संघ स्वयंसेवकों को अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए समाज की सेवा करनें का निर्देश देते हुए सरसंघचालक नें कहा कि वर्तमान काल में सेवा कार्य ही संघ कार्य है. माननीय सरसंघचालक नागपुर से टेली कांफ्रेंसिंग द्वारा देश के स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे.

श्री भागवत के उद्बोधन का संक्षिप्त विवरण:-


* लॉक डाउन में सब बन्द है फिर भी जीवन चल रहा है। उसी प्रकार संघ भी इस लॉक डाउन में नित्य काम ना करते हुए अन्य काम के माध्यम से चल रहा है।
* सेवा भारती के काम ने इस महामारी में समाज की विभिन्न रूप में मदद की।
* तथागत के लेख को चीनी भाषा मे छपवाने के लिए जो धन इक्कठा किया था, उसे सेवा भाव मे खर्च किया। ऐसा दो बार हुआ। जब तीसरी बार मे कामयाबी मिली तो उसने कहा कि ये तथागत के जीवन की यह तीसरी आवर्ती है। क्योकि पहले 2 सेवा कार्य भी इसी का हिस्सा थे।
* यह सेवा हम कीर्ति प्रसिद्धि के लिए नही कर रहे, यह समाज देश अपना है इसलिए यह पुण्य कार्य कर रहे है।
* इस महामारी में नियमो का पालन करना हम सब ने। व समाज को सीखना।
* कोरोना को हराने के लिए सुनियोजित प्रयास करना।
* कंगाल आदमी का प्रसंग.... डिफरेन्स बिटवीन सुसक्सेस एंड फेल्यर इन 3 फ़ीट शिक्षा:- प्रयास अंतिम समय तक करना।
* हमने विश्व के मानव की सेवा, नुकसान उठा कर करी। *आयुष मंत्रालय द्वारा दी गयी गाइडलाइन का पालन करना। ताकि हम स्वस्थ रह कर दुसरो की सेवा करना।
* उनकी ही मदद की जाए , जिन्हें इसकी जरूरत है।
* इस सेवा के साथ साथ अच्छाई का प्रचार प्रसार करते रहना चाहिए।
* विदुर नीति की बात दोषों को टालने की:- छः दोशो को दूर करना। सफलता पाने के लिए आलस्य, असावधानी, निंद्रा, भय, क्रोध को टालना।
* संघ ने देश के ऊपर आये इस संकट में स्वेच्छा से जून तक सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए।
* कोरोना को फैलाने में समाज विशेष के द्वारा गड़बड़ की गई। हमे ऐसे लोगो से बचना। ओर अपना सेवा कार्य जारी रखना।
* सेवा समुह के मुखिया ने अपने लोगो को राजनीति के शिकार होने से बचाना।
* इस देश के सेवक सन्यासीयो की हत्या होना गलत है। 28 तारीख को श्रधांजलि देंगे हम सभी समाज।
* भय क्रोध से बचना।
* लॉक डाउन खुलने के बाद समाज को सिखाना पड़ेगा कि अब कैसे रहना है:- ई क्लासेस, बाजार ने डिस्टेंस बनाये रखना, कंपनी में सभी नियमो का पालन करना होगा।
* अनुशाशन का उदाहरण स्वयं का सबके सामने रखना होगा।
* परिवार में आदत लाना होगा नए तरीके से जीने का।
* स्वालम्बन की सिख दे रहा है यह संकट। अब हमे स्व-आधारित तंत्र का निर्माण करना होगा। नए विकास का मॉडल तैयार करना होगा। जिसमें सरकार, प्रशासन, ओर समाज को संकल्प लेना होगा। समाज को स्वदेशी होना पड़ेगा।
* पर्यावरण बहुत मात्रा में शुद्ध हुआ है इस महामारी में। आगे भी यह स्वच्छ वातारण बना रहे इसका ध्यान करना होगा।
* अब हमें जैविक खेती, गो-पालन करना चाहिए। हम करेंगे तो प्रशासन इसके लिए कुछ करेगा।
* कुटुंब में संस्कार को बढ़ाना पड़ेगा, अनुशासित होना होगा।
* सरकार जल्दी ही संस्कार निहित वाली शिक्षा नीति लाएगा।
* राजनीतिज्ञ लोगो को भी अब राष्ट्र के लिये सोचना चाहिए।
* हमारी भूमिका ये है कि इस संकट को अवसर बना कर भारत के नव-निर्माण करना।
रिपोर्ट : राहुल त्रिपाठी

होम पेज पर जाने के लिए क्लिक करें.

Leave your comments

Name

Email

Comments

इन्हें भी पढ़ें