Written By :न्यायाधीश ब्यूरो
Updated on : 19 Apr 2020
Reader's View :541

शर्मनाक : मॉब लिंचिंग में दो हिन्दू संत समेत तीन की हत्या.

न्यायाधीश ब्यूरो, महाराष्ट्र : कांग्रेस शासित महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ ने दो हिन्दू संत और उनके कार ड्राइवर की लाठी, डंडों और पत्थर से मारकर सरेराह पुलिस के सामने ही हत्या कर दी. घटना गुरुवार की है जब दोनों संत किसी संत की अंत्येष्टि में शामिल होकर लौट रहे थे. इस मॉब लिंचिंग में मारे गये एक संत की आयु तो सत्तर वर्ष के करीब थी. दोनों संत जुना अखाड़े से सम्बध्द बताये गए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार मिर्जापुर परिवार के एक संत बाबा रामगिरी जी .गुजरात में वेरावल के पास ब्रह्मलीन हो गये थे. उनको समाधि दिलानें के लिए ही कई संतों को वहां बुलाया गया था. ऐसे ही दो संत महंत कल्पवृक्ष गिरी और दिनेश गिरी जी भी समाधि दिलवाने के लिए नासिक महाराष्ट्र से गुजरात पहुंचे थे. महात्मा रामगिरी जी को समाधि लगवानें जे बाद ये दोनों संत अपने ड्राइवर के साथ वापस नासिक की और लौट रहे थे. पालघर इलाके में पहुँचते ही इनकी गाड़ी को पुलिस ने रोका और ड्राइवर समेत दोनों संतों को बाहर निकाला. तभी अचानक ही वहां पर कुछ लोग इकट्ठे हो गये. पुलिस ने दोनों संतो के साथ ड्राइवर को भी उन्मादी भीड़ के हवाले कर दिया और फिर उन दरिंदों ने पुलिस के सामने ही इन तीनों की बर्बरतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी.

मेन स्ट्रीम मिडिया ने इस मॉब लिंचिंग को भीड़ द्वारा चोरों की पिटाई के बाद हत्या कहकर पल्ला भले ही झाड़ लिया हो लेकिन घटनास्थल से प्राप्त वीडियो को देखा जाये तो स्पष्ट हो जाता है कि मौके पर मौजूद हत्यारी भीड़ को ये बात पहले से मालूम थी कि मारे गए लोग हिन्दू संत हैं क्योंकि मारे गये संतों ने भगवा पहन रखा था. भीड़ में कईयों के पास हाई बीम टार्च थे और बाकी के हाथों में लाठी डंडे थे. यानि भीड़ इस हत्या के लिए पहले से तैयार बैठी थी और यह सारा हत्याकांड एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र था.

हत्याकांड के समय के वीडियो में साफ दिख रहा है कि मौके पर मौजूद पुलिस वालों के पास भीड़ से निपटने के लिए प्लास्टिक शील्ड मौजूद थी और यदि पुलिस चाहती तो संतों की जान बचाई जा सकती थी. वीडियो में दिख रहा है कि कैसे एक वृध्द संत अपनी प्राण रक्षा के लिए एक पुलिस वाले का हाथ कस कर पकडे हुए हैं. थोड़ी देर में ही वह पुलिसवाला उन वृध्द संत को भीड़ के हवाले कर देता है और भीड़ जंगली कुत्ते की तरह उस बुढ़ें भगवा धारण किये संत को लाठी डंन्डों से तब तक मारती जाती है जब तक वह बुढा साधू जमीन पर गिर कर दम नहीं तोड़ देता. हतप्रभ और विचलित करने वाली बात तो यह है कि जब भीड़ उस संत को मार रही थी तो मौके पर मौजूद पुलिस वालों ने उन्हें बचाने की कोई कोशिश नहीं की.

न्यायाधीश के सवाल : मॉब लिंचिंग में तीन लोगों की हत्या वाली शर्मसार कर देने वाली घटना के समय के वीडियो को देखने के बाद मन में बरबस कई सवाल उठते हैं जिनका उत्तर महाराष्ट्र सरकार के साथ पालघर के प्रशासन को देना होगा :-
1 - जब भीड़ साधुओं को मार रही थी तो वहां मौजूद पुलिस ने उन्हे भीड़ से बचाने का कोई प्रयास क्यों नहीं किया ? 2 - वीडियो में साफ दिखता है कि वहां मौजूद एक पुलिस कर्मी ने खुद बूढ़े संत को भीड़ के हवाले कर दिया. क्या परदे के पीछे से ये सब करने के लिए पुलिस को कोई निर्देश दे रहा था. 3 - अगर यह घटना अचानक से घटित हुई थी तो उस वक्त भीड़ बड़ी टोर्च और जान लेने के साजो सामान से लैस कैसे थी ?

आज जबकि कोरोना स्प्रेड, शाहीन बाग को देखते हुए देश में सिंगल सोर्स को लेकर बहुसंख्यक वर्ग के भीतर एक किस्म का आक्रोश पनप रहा है और यहाँ तक कि बहुत से क्षेत्रों में लोगों ने सिंगल सोर्स तबके से खरीदारी भी बंद कर दी है, प्रदेश और केंद्र सरकारों का यह दायित्व बन जाता है कि इस लिंचिंग के लिए जो भी जिम्मेवार है उसे गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दिलवाए. ऐसा न होने पर देश के भीतर दो वर्गों के बीच बनी खाई और गहरी होती जाएगी , इतनी कि इसे पाटना किसी भी सरकार ,संगठन के लिए संभव नहीं होगा.

होम पेज पर जाने के लिए क्लिक करें.

Leave your comments

Name

Email

Comments

इन्हें भी पढ़ें